31 जुलाई 2023 को आईटीआर दाखिल करने की समयावधि समाप्त होने के पश्चात, कर विभाग उन करदाताओं से निपटने के लिए व्यापक कार्यवाही करने की तैयारी कर रहा है। जिन्होंने टैक्स से बचने के लिए जाली किराये की रसीदों का उपयोग किया है। इस सम्बन्ध में एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अगर आईटीआर फाइल करने में ऐसे जाली दस्तावेज समने आते हैं। तो विभाग के पास यह अधिकार है कि, गलत रिपोर्ट की गयी आय पर लागु कर का 200 % हर्जाना लगा सकता है।
आयकर अधिनियम मकान किराया भत्ता ( HRA ) एवं डोनेशन के लिए कर में कुछ छूट और कटौती प्रदान करता है। कई बार करदाता ऐसी छूट का दवा करने के लिए जाली किराये की रसीद या डोनेशन की गलत कटौती के कारण नोटिस में उचित दस्तावेज, जैसे-किराये के भुगतान का साक्ष्य या दिए गए डोनेशन का साक्ष्य मांग सकते हैं।
किसे माना जाता है आपकी गलत रिपोर्टिंग
दस्तावेजी सबूतों द्वारा समर्पित न होने वाले खर्च का दावा, अकाउंट बुक में किसी भी गलत इंट्री को दर्शाना या तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना या छिपाना आय की गलत रिपोर्टिंग माना जाता है। एवं इस वजह से इस प्रकार की कम रिपोर्ट पर देय कर के 200% के बराबर हर्जाना लगाया जाता है।
डीवीएस के संस्थापक एवं सीईओ दिवाकर विजय सारथी ने इस सम्बन्ध में बताया कि, आय पर धारा 270 ए के अंतर्गत शुल्क लगाया जा सकता है।
एक्सपर्टस की राय
इसके अतिरिक्त, टैक्स एवं कंसल्टेंसी फर्म एकेएम ग्लोबल में टैक्स मार्केट के चीफ येशू सहगल ने बताया कि, जाली किराया रसीदों को रद्द करने से आय को फिर से अधिकारी की तरफ से कैलकुलेट किया जा सकता है। सहगल ने बताया कि, “यह ख्याल रखना चाहिए कि, ऐसे प्रकरण में जेल भेजे जाने का भी प्रावधान है।”
इसके अलावां, झूठे या फर्जी दस्तावेजों या दस्तावेजी सबूतों के किसी भी जाली रसीदों के आधार पर अकाउंट बुक में किसी भी इंट्री को एक गलत इंट्री माना जाता है। अगर कार्यवाही के समय इसकी जानकारी हो जाती है, तो धारा 271एए डी के अंतर्गत 10 हजार का जुर्माना या कर चोरी की सजा दी जा सकती है।
पेशेवरों के गलत जानकारी देने पर कार्यवाही
इसके अतिरिक्त, कोई भी पेशेवर जैसे-मर्चेंट बैंकर या अकाउंटेंट गलत सुचना के आधार पर एक प्रमाण पत्र या रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, तो सीआईटी ( ए ) या एओ इस प्रकार के पेशेवर को ऐसी हर रिपोर्ट के लिए 10 हजार रूपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दे सकता है।