एक वर्ष में कंपनी को जो मुनाफा होता है, उसको शेयर धारकों में बाटा जाता है, इसे ही डिविडेंट कहा जाता है। कंपनी अपने शेयर धारकों को डिविडेंट देती है। डिविडेंट प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है।
उदाहरण के तौर पर X कंपनी ने 2022-23 में हर शेयर पर 42 रूपये का डिविडेंट दिया। डिविडेंट को शेयर के फेस वैल्यू के प्रतिशत के तौर पर भी देखा जा सकता है। जैसे X कंपनी के उदाहरण में शेयर की फेस वैल्यू 5 रूपये हो और डिविडेंट 42 रूपये मतलब कंपनी ने 840% का डिविडेंट दिया (42/5 )।
कंपनी के लिए प्रत्येक वर्ष डिविडेंट देना आवश्यक नहीं होता। कंपनी को अगर प्रतीत होता है कि, वर्ष के मुनाफे के डिविडेंट के रूप में बाटने की जगह उस पैसे का उपयोग नये प्रोजेक्ट एवं बेहतर भविष्य के लिए करना चाहिए तो कंपनी ऐसा कर सकती है।
डिविडेंट हमेशा मुनाफे से ही नहीं प्रदान किया जाता। कंपनी को अनेक बार मुनाफा नहीं होता, परन्तु उसके पास काफी रिज़र्व प्रॉफिट होता है। उस स्थिति में कंपनी उस रिज़र्व प्रॉफिट में से भी डिविडेंट दे सकती है। कंपनी के लिए कभी-कभी डिविडेंट देना सबसे उचित कदम होता है। कंपनी के पास कैश उपलब्ध होता है, तो उस समय डिविडेंट देकर शेयर धारकों को पुरुस्कृत करना अच्छा होता है। इससे कंपनी पर शेयर धारकों का विश्वास बढ़ जाता है।
एनुअल जनरल मीटिंग यानी AGM में डिविडेंट देने का निर्णय लिया जाता है। जहाँ कंपनी के निदेशक मिलते हैं। डिविडेंट देने की घोषणा के साथ ही डिविडेंट नहीं दिया जाता, क्योंकि शेयर की खरीद-बिक्री एक्सचेंज पर निरंतर चल रही होती है। ऐसे में ये पता करना कठिन हो जाता है कि, डिविडेंट किसे दिया जाये एवं किसे नहीं दिया जाये।
डिविडेंट डेट (Dividend Date)
डिविडेंट डेट वह डेट है जिस दिन कंपनी डिविडेंट देने की घोषणा करती है। डिविडेंट देने की घोषणा के बाद डिविडेंट देने की प्रक्रिया शुरू हो जाती। अधिकतर कंपनी अपने AGM मीटिंग में डिविडेंट देने की घोषणा करती है। डिविडेंट डेट को ही तय कर लिया जाता है की कंपनी अपने शेयर धारको को कितना डिविडेंट देगी।
रिकार्ड डेट (Record Date)
रिकार्ड डेट वो होता है, जिस दिन कंपनी कार्पोरेट एक्स के लिए अपने रिकार्ड की जाँच करती है। एवं उसमें एलिजिबल शेयर होल्डर की पहचान करती है। और उसमें जिन शेयर धारकों के नाम होते हैं, उन्हें डिविडेंट देने का निर्णय लेती है। सामान्यत रिकार्ड डेट एवं डिविडेंट की घोषणा के बीच कम से कम 30 दिन का फासला होता है।
एक्स डिविडेंट डेट (Ex Divident Date)
ये समान्य तौर पर रिकार्ड डेट से 2 कारोबारी दिन पहले का होता है। ऐसा इस वजह से होता है, क्योंकि भारत में T+2 के आधार पर मतलब सौदे के 2 दिन बाद सेटिलमेंट होता है। तो अगर आपको डिविडेंट चाहिए तो शेयर एक्स डिविडेंट के पूर्व खरीदना होगा।
उदाहरण के लिए -: जैसे, बुधवार कार्पोरेट एक्शन के लिए रिकार्ड डेट है। मंगलवार इस स्टाक के लिए एक्स डेट है। यानी एक ट्रेडिंग दिन रिकार्ड डेट से पहले। शेयर को सोमवार को या उससे पूर्व कार्पोरेट एक्शन बेनिफिट के लिए एलिजिबल होने के लिए ख़रीदा जाना चाहिए।
स्टाक कार्पोरेट एक्शन बेनीफिट्स के साथ सोमवार तक ट्रेड करेगा। एवं मंगलवार से स्टाक एक्स मार्केट एक्शन ट्रेड करेगा। कार्पोरेट एक्शन बेनिफिट के लिए मंगलवार को ख़रीदे गये शेयर एलिजिबल नहीं होंगे।
अगर बुधवार को रिकार्ड डेट के साथ रिकार्ड S ने रूपये 10 के डिविडेंट की घोषणा की है, एवं सोमवार को रूपये 500 पर ट्रेड हो रहा है। तब S डिविडेंट डेट मंगलवार को होगी। एवं शेयर के प्राइम डिवाइस अकाउंट, यानि रूपये 10/- से कम हो जायेगा।